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Tips to Navigate Sade Sati

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Here is the List of Tips to Navigate Sade Sati : 1. Respect Time - Saturn’s Watching Sade Sati is Saturn’s invitation to value your time, energy, and commitments. Be punctual, honor your responsibilities, and avoid shortcuts. Saturn rewards discipline, even if the results are slow. 2. Simplify Your Life Let go of what’s unnecessary, whether it's clutter, relationships that drain you, or overcomplicated plans. Sade Sati often feels heavy because Saturn is trying to bring you back to essentials. Less is more. 3. Be Honest - Especially With Yourself Saturn doesn’t like pretense. This is a time when masks come off and truth rises. Speak and live with integrity. If something’s out of alignment, face it gently but directly. 4. Build a Daily Routine (and Stick to It) Saturn loves structure. Even a simple daily routine-like waking up at the same time, journaling, or walking-creates inner stability. When everything feels uncertain, your routine becomes your anchor. 5. Serve Without Expectin...

शिव षडक्षर स्तोत्र - Shiv Shadakshar Stotra with Meaning

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शिव भगवान का पंचाक्षर मंत्र है: नमः शिवाय।  षडक्षर मंत्र है:  ॐ नमः शिवाय । ॐ कारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिन:। कामदं मोक्षदं चैव ॐ काराय नमो नमः।।१।। नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणा:। नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नमः।।२।। महादेवं महात्मानं महाध्याय परायणम्। महापापहरं देवं मकाराय नमो नमः।।३।। शिवं शांतं जगन्नाथं लोकानुग्रहकारकम्। शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नमः।।४।। वाहनं वृषभो यस्य वासुकि कंठभूषणम्। वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नमः।।५।। यत्र यत्र स्थितो देव: सर्वव्यापी महेश्वर:। यो गुरु: सर्वदेवानां यकाराय नमो नमः।।६।। षडक्षरमिदं स्तोत्र य: पठेच्छिवसंनिधौ। शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ।।७।। हिंदी भाषा में स्तोत्र का अर्थ: जो ॐकार के रूप में आध्यात्मिक ह्रदय केन्द्र में रहते है, जिसका योगी निरंतर ध्यान करते है, जो सभी इच्छाओं को पूरा करते है और मुक्ति भी प्रदान करते है, उन शिवजी को नमस्कार ,जो “ॐ” शब्द द्वारा दर्शाया गया है।१। जिनको ऋषियों ने श्रद्धा से नमन किया है, देवों ने नमन किया है, अप्सराओं ने नमन किया है और मनुष्यों ने नमन किया है, वो देवों के देव महादेव ...

नवनाग नाम स्तोत्र - Navnag naam stotra mantra recite for Naag Panchami

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श्री गणेशाय नमः |  अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम् | शङ्खपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा || १ || एतानि नवनामानि नागानां च महात्मनाम् | सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः || २ || तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् || ३ || || इति श्री नवनाग नाम स्तोत्रम् सम्पूर्णम् 

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र (Rin Harta Shri Ganesh Stotra)

ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् । ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥ ॥ मूल-पाठ ॥ सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं, एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: । दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥

श्री गणेश-लक्ष्मी स्तोत्र - Shri Ganesha laxmi stotram

ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने |  दुष्टारिष्टाविनाशाय पराय परमात्मने ||  लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोप शोभितं |  अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूह विनाशनं ||  ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः |  सर्वसिद्धिप्रदोसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदोभव ||  चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः |  सिन्दूरारुणवस्त्रेश्च पूजितो वरदायकः ||  इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद भक्तिमान नरः |  तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ||  स्तोत्रार्थ  सम्पूर्ण सौख्य प्रदान करने वाले सत्चिदानद स्वरुप  विघ्नराज गणेश को नमस्कार है |  जो दुष्ट अरिष्टग्रहों का नाश करनेवाले परात्पर परमात्मा है  उन गणपति को नमस्कार है |  जो महापराक्रमी लम्बोदर,सर्पमय,यज्ञोपवीत से सुशोभित अर्धचंद्रधारी और सभी विघ्नो का विनाश करनेवाले है |  उन गणपति की में वंदना करता हु |  ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूँ ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्ब को नमस्कार है |  हे भगवान् आप ही सभी सभी सिद्धियों के दाता हो |  आप हमारे लिये सिद्धि-बुद्धि दायक हो |  आ...

108 Names of Lord Ganesha | Ashtottara Shatanamavali of Lord Ganesha

  गजानन 1 ॐ गजाननाय नमः। Om Gajananaya Namah। गज के मुख वाले गणाध्यक्ष 2 ॐ गणाध्यक्षाय नमः। Om Ganadhyakshaya Namah। देवगणों के स्वामी विघ्नराज 3 ॐ विघ्नराजाय नमः। Om Vighnarajaya Namah। विघ्नों को दूर करने वाले एवं विघ्नों के स्वामी विनायक 4 ॐ विनायकाय नमः। Om Vinayakaya Namah। समस्त प्राणियों के स्वामी द्वैमातुर 5 ॐ द्वैमातुराय नमः। Om Dvaimaturaya Namah। दो माताओं वाले (देवी उमा एवं हस्तिनी) द्विमुख 6 ॐ द्विमुखाय नमः। Om Dwimukhaya Namah। दो मुखों वाले प्रमुख 7 ॐ प्रमुखाय नमः। Om Pramukhaya Namah। सृष्टि के मुख्य देव सुमुख 8 ॐ सुमुखाय नमः। Om Sumukhaya Namah। सुन्दर मुख वाले / मङ्गलमुखी कृति 9 ॐ कृतिने नमः। Om Kritine Namah। जो स्वयं सृष्टि स्वरूप हैं। सुप्रदीप 10 ॐ सुप्रदीपाय नमः। Om Supradipaya Namah। अज्ञान रूपी अन्धकार को नष्ट करने वाले सुखनिधी 11 ॐ सुखनिधये नमः। Om Sukhanidhaye Namah। सुख के सागर एवं सुख प्रदान करने वाले सुराध्यक्ष 12 ॐ सुराध्यक्षाय नमः। Om Suradhyakshaya Namah। देवताओं के अधिपति सुरारिघ्न 13 ॐ सुरारिघ्नाय नमः। Om Surarighnaya Namah। देवों के शत्रुओं का संह...